प्रेत आत्माओं का साया

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"माँ कुछ दो ना खाने के लिए बहुत भूख लगी है।""सुनते हो जी! बच्चे सुबह से भूख से तड़प रहे हैं और आप हो कि हाथ पे हाथ रखे बैठे हैं, कुछ करते क्यूँ नहीं हो।""क्या करूँ मर जाऊँ क्या, कहाँ से लाऊं खाना। तुम्हें पता है कि गाँव में चार साल से वर्षा नहीं हुई है और न ही अन्न का एक भी दाना। "रमेश ने झुंझलाहट में कहा।" हाँ भाभी भैया सही कह रहे हैं और उपर से उस दुष्ट, जमींदार ने भी पूरे गाँव में नाकाबंदी कर रखी है उसका कहना है कि कोई भी व्यक्ति उसका