वहम

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1.रेत के समंदर सी दुनिया में हम हैं,पता भी चले कैसे ये कैसा भरम है? 2.जब भी आते हो , कहर लाते हो।गाँव मे मेरे क्यों, शहर लाते हो? 3.मीलों की सफर न तूफानों ने मारा ,मुझको तो मेरे अरमानों ने मारा।पंखों में मेरे ना ताकत कोई कम थी, अनचाहे थे मेरे उड़ानों ने मारा। 4.क्या करूँ कि दिल बदलता नहीं,औरों को गिरा के संभलता नहीं। 5.क्या खूब हो दर्द को जताते भी नहीं,बताते भी नहीं, छुपाते भी नहीं। 6.देख के गधा चकराया,ये चोटी वाली दीदी,भुल हुई कैसे ईश्वर से,सर में पुंछ लगा दी? 7.ये ठीक हीं तो था कि