जैसे ही गेट के सामने गाड़ी रुकी उसने गौतम को खड़े पाया- “अरे..... तुम अभी आये?” “नहीं..... फोन लगा-लगा कर थक गया तुम्हारे घर जाना मैंने उचित नहीं समझा तब से यहीं खड़ा हूँ ” जाने क्या हुआ..... किस लम्हे ने कहाँ छुआ उसे कि वह बेक़रार हो गौतम से लिपट गई दोनों की ख़ामोशी सूनी सड़क पर बहुत कुछ कहती हुई फूलों की खुशबू और हवाओं के संग बहती हुई बार-बार दोनों से लिपटती रही..... रात ढलती रही तय हुआ कि शेफ़ाली उसे लेकर पूना जायेगी और वहीं एबॉर्शन होगा