रामजस तिवारी आकर बैठे वो पूरे शुकुल से लौटे थे। गांव नहीं पहुंचे थे कि उन्हें ऐसी खबर मिल गयी कि उनके पैरों के तले की जमीन खिसक गयी। इस खबर की पुष्टि उनके स्तर से हो पाना आसान नहीं था। जब रिश्तेदार ही नहीं रह गया तो रिश्ते की कैसी मर्यादा?इसलिये वो इमिलिया लौट आये। सरोजा पानी लेकर आयी उनका उतरा हुआ चेहरा देख कर उसे कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि चिंता और लोकपाल तिवारी का अब चोली-दामन का साथ हो चुका था।