शांतनु - १६

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आज और रविवार के बीच तिन दिन और थे, इन तिन दिनों में शांतनु और अनुश्री ऑफ़िस पर हर रोज़ मिले और वोट्स अप पर भी देर रात तक एक दूसरे से चैट करते रहे और आख़िरकार रविवार भी आ गया, शांतनु सुबह से ही शाम होने का इन्तज़ार करने लगा धीरे धीरे शाम भी हो गई और शांतनु और ज्वलंतभाई पिछले दिन तय किये हुए समय पर अनुश्री के घर पहुंचे...अनुश्री के मम्मा और सुवास ने ज्वलंतभाई और शांतनु का उस दिन अनुश्री को संभाल लेने के लिये दिल से उनका धन्यवाद किया तो ज्वलंतभाई और शांतनु ने भी उन्हों ने जो किया वो उनका फर्ज़ बताया अनुश्री तो जैसे ज्वलंतभाई को सालों से जानती हो वैसे उनकी बगल में बैठ गयी और उनके बारे में उनके घर के बारे में अपने मम्मा और सुवास को बताने लगी