हिम स्पर्श 29

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दिलशाद जब घर पहुंची तो जीत आँगन में झूले पर बैठा था। दिलशाद जीत के पास गई और उसके गाल को चूमने के लिए झुकी। दिलशाद की ढीली छाती भी झूली। जीत ने उसे अनुभव किया। वह समझ गया कि दिलशाद की ब्रा अपने स्थान पर नहीं थी। दिलशाद कभी बिना ब्रा के घर से बाहर नहीं जाती। तो यह कैसे हुआ? सवाल जीत के मन में उठा, जवाब भी उसे ज्ञात था। दिलशाद अपनी ब्रा खो चुकी थी, जीत को भी। जीत कुछ नहीं बोला। रात भर सोचता रहा। रात भर स्वयं से संघर्ष करता रहा। भोर जब आई