कार्तिक का बड़ा सुहाना महीना था- न अधिक गर्म, न अधिक ठंडा। वर्षा ऋतु के पश्चात चारों ओर छाई हरियाली इतनी उत्फुल्लकारी थी कि मन और शरीर दोनों आह्लाद से भरे रहें। यह वह समय था जब मोहित सवा तीन वर्ष का हो चुका था और हवेली में धमाचैकडी़ मचाये रहता था। ग्राम्य जीवन का यह वह महीना था जब वर्षा के प्यार से प्रस्फुटित हरी-भरी प्रकृति शरत् ऋतु केा अपने अंक मे भर लेने को व्याकुल होने लगी थी।