दो क़ौमैं

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मुख़तार ने शारदा को पहली मर्तबा झरनों में से देखा। वो ऊपर कोठे पर कटा हुआ पतंग लेने गया तो उसे झरनों में से एक झलक दिखाई दी। सामने वाले मकान की बालाई मंज़िल की खिड़की खुली थी। एक लड़की डोंगा हाथ में लिए नहा रही थी। मुख़तार को बड़ा ताज्जुब हुआ कि ये लड़की कहाँ से आगई, क्योंकि सामने वाले मकान में कोई लड़की नहीं थी। जो थीं, ब्याही जा चुकी थीं। सिर्फ़ रूप कौर थी। उस का पिलपिला ख़ाविंद कालू मिल था। उस के तीन लड़के थे और बस।