“जीत, मेरा पर्स वहीं टेबल पर ही रह गया। मैं अभी लेकर आई, तुम गाड़ी निकालो।“ दिलशाद ने कहा। दिलशाद नेल्सन के कक्ष की तरफ दौड़ी, अंदर घुसी। “मेरा पर्स मैं भूल गयी थी।“ वह टेबल पर पड़ी पर्स की तरफ बढ़ी, वह पर्स उठाती तब तक नेल्सन ने उसे उठा लिया। “भूल गयी थी अथवा...?” नेल्सन दिलशाद की समीप गया। वह दिलशाद के अत्यंत समीप था। दिलशाद को उसका सामीप्य पसंद आया। वह मन ही मन चाहने लगी कि नेल्सन उसे स्पर्श करे किन्तु उसने स्वयं को रोका। “मेरा पर्स?“ दिलशाद ने पर्स लेने के लिए हाथ आगे