कोई अपनी माँ के पेट से सीख कर नही आता

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क्या ख़ुशी, घरवालों ने तुम्हारा नाम खुशी रखा है तब भी कभी तुम खुश नही रहती, हमेशा रोती रहती हो ,हताश रहती हो अपने खुद के घर मे यह हाल है तो कल को शादी होकर जाओगी तो कैसे अपनी जिंदगी बिता पाओगी,क्योंकि वहाँ तो इतनी जिम्मेदारी होती है कि इसमें ख़ुशी कहाँ गुम हो जाती है पता ही नही चलता।अब क्या हुआ ,किस बात पे नाराजगी है।कल मैंने रंगोली बनाई मुझे लगा सब को बहुत अच्छी लगेगी।पर माँ ने कहा ये क्या रंगोली बनाई है पड़ोसी की ऋचा को देखो क्या रंगोली बनाती है , सीखो उससे कुछ, ख़ुशी