जीत तथा दिलशाद मुंबई लौट आए। डॉ॰ नेल्सन ने पूरी तरह से जीत को जांचा, कई टेस्ट भी हुए। “बर्फीले पहाड़ों पर आप की छुट्टियाँ कैसी रही? बड़ा आनंद आया होगा न? कुछ मुझे भी तो बताओ कि पहाड़ों पर हिम कैसा लगता है? मैं कभी गया नहीं उन पहाड़ों पर।”नेल्सन ने बात का दौर सांधा। नेल्सन के होठों पर मीठा सा स्मित था। वह स्मित मोहक भी था। उसमें कोई जादू अवश्य था, जो रोगी की पीड़ा हर लेता था। दिलशाद और जीत उस स्मित के सम्मोहन में पड गए। कुछ क्षण के लिए पीड़ा भूल गए, बर्फीली पहाड़ियों