स्वरा एकटक उस विशालकाय बोर्ड को देख रही थी, जिस पर लिखा था, “रोहिणी देवी मेमोरियल हॉस्पिटल”. नये पेंट की तहें, अभी सूखी ना थीं. मन में कुछ भरभराकर टूट गया. औचक ही यादों के कपाट खुल पड़े. वहां- जहाँ गड्डमड्ड होती, अतीत की तहें... आसन्न मृत्यु का आतंक और छटपटाती हुई रोहिणी! आसपास काफी हलचल, काफी चहल पहल थी; लेकिन स्वरा को होश कहाँ! वह तो अपने में गुम थी. रोहिणी देवी- उसकी रौबीली सासू माँ, कोई सामान्य स्त्री नहीं थी. घर के हर सदस्य पर, दबदबा था उनका. आज वह स्वयम इतिहास बनकर रह गयी थीं.