हिम स्पर्श - 20

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वफ़ाई जागी, घड़ी में समय देखा। रात के तीन बज कर अड़तालीस मिनिट। वह उठ खड़ी ऊई। कक्ष से बाहर निकली। झूले पर जीत गहरी नींद में सोया था। “जीत, स्वप्नों के नगर में हो क्या?” वफ़ाई मन ही मन बोली। रात शीतल थी। देर रात्रि के चाँद की श्वेत चाँदनी से गगन तेजोमय था। दो तीन बादल गगन में घूम रहे थे। ठंडी पवन वफ़ाई को स्पर्श कर गई। वफ़ाई ने थोड़ा कंपन अनुभव किया। उसने दुपट्टे को लपेटा और कक्ष के अंदर चली गई। वफ़ाई ने जीत का लेपटोप चालू किया। जीत ने वफ़ाई के केमरे से जो