पहला एस एम एस - 3

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पहला एस एम एस -3 राज का ख़्वाब तो टूट जाता है । परन्तु यह ख़्वाब दूसरे ख़्वाबों सा नही था । अक्सर ख़्वाब नींद खत्म होते ही भुला दिए जाते । इस ख़्वाब ने तो यादों को और ताजा कर दिया । अब तो राज को एक पल भी चैन नही था । वह जेनी की तलाश करे तो कैसे ? राज के पास जो कुछ रास्ते थे भी उन रास्तों पर चलकर जेनी तक पहुंचना शोलों पर चलने के जैसा था । शोले भी ऐसे वैसे नही की पैर जलेंगे जरा सी चूक हुई तो पूरा जीवन कलह