कन्हैया रोज की तरह तेज चाल से चला जा रहा था।चारो तरफ गहरा अंधेरा छाया था और बारिश रुकने का नाम नहीं ले रहा था उस दिन,पर कन्हैया को इससे कहा मतलब ,वो तो मस्त अपनी ही दुनिया में और मस्त था अपने आराध्य की भक्ति में।बारिश हो या तूफान उसे कोई फर्क नहीं अगर फर्क पड़ता तो वो उस मंदिर में नहीं जाने से जिसमें पिछले कई महीनों से वो लगातार बिना किसी दिन छोड़े जा रहा था।शहर के दूसरे छोर पर बसा वो मंदिर कम से कम आधे घंटे की दूरी पर था। कन्हैया उस दिन भी वो