9 जब वफ़ाई जागी तब प्रभात हो चुका था, सूरज अभी अभी निकला था। धूप की बाल किरनें कक्ष में प्रवेश कर चुकी थी। प्रकाश मध्धम था। सूरज की किरणें दुर्बल सी थी। लगता था सूरज किसी के पीछे छुप गया था। वफ़ाई खुश हुई, कूदकर उठ गई। उसके साथ दो पहाड़ियाँ भी कूद पड़ी, उछल पड़ी। वह भूल गई थी कि रातभर वह अनावृत होकर सोई थी। वफ़ाई ने दोनों हाथों से दोनों पहाड़ियों को पकड़ा, स्थिर किया। वह खिड़की के समीप गई और बाहर फैले गगन को देखने लगी। तीन चार दिनों से जैसा साफ सूथरा