लघुकथा. मलाल 'गांव वाले लड़ने आ सकते हैं. लड़की को क्यों मारा ? क्या, तुम्हें मारने का अधिकार है. पिताजी पुलिस में रिपोर्ट कर सकते हैं. शर्म नहीं आती. एक छोटी लड़की का मारते हुए.' यही सोच कर मोहनलाल का सिर फटा जा रहा था. ' क्या करे, गलती तो हो गई. जो होगा देखा जाएगा,' उन्हों ने दिमाग को एक झटका दिया. मगर, दिल कहां मानता है. वह अपनी तरह सोच रहा था. ' उस मासूम को नहीं मारना चाहिए था. हां, मगर मैं क्या करता ? मैं ने कक्षा में अनुशासन बनाए रखने के लिए उसे कई बार