इत्तफाक की बात कि दक्ष के एक और पुत्री थी - विजया। वह सुन्दर नहीं थी। बुद्धिमान तो थी, पर काफी बुद्धिमान नहीं। किसी पुरुष ने उसकी कामना नहीं की, इसलिए वह बिन ब्याही रह गयी। वह प्रौढ़ा कुमारी अपनी ब्याहता बहन सती के पास आती-जाती रहती थी, सिर्फ स्पर्शसुख प्राप्त करने के लिए। आदत से भी कुँवारी ही थी - अपने पिता दक्ष और शिव से चिढ़ी हुई भी रहती थी क्योंकि वे सती को अतिरिक्त स्नेह देते थे। उसका कोई खयाल नहीं करते थे।