वफ़ाई ने खींची हुई तसवीरों को केमरे में देखा। वह निराश हो गई। केमरे से बातें करने लगी, “जानु, तुमने यह क्या कर दिया? सभी तस्वीरें एक सी लगती है। मैं उसे हटा देती हूँ।“ वफ़ाई तसवीरों को हटाने लगी। दो चार तस्वीरें हटाने के बाद वफ़ाई ने अपना निर्णय बदल दिया। सभी तसवीरों को बचा के रख लिया। मरुभूमि की दूसरी रात भी वफ़ाई ने उसी घर में बिता दी। और दो दिवस वफ़ाई मरुभूमि में घूमती रही किन्तु पहले दो दिनों की भांति वह निराश ही रही। ना कोई मिला उसे ना कोई घटना घटी। तीसरी और चोथी रात्रि भी वफ़ाई ने उसी घर में बिताई। चार दिवस मरुभूमि में घूमने से जो अनुभव मिले उसे वफ़ाई लिखने लगी।