जिए तो ज़रा बस एक पल - { पहाड़ी स्त्रियों को समर्पित }इचक दाना -विचक दाना सुनो क्या कहता है मीठा दाना रंग लाई अपनी मेहनत देंगी गवाही गेंहू की ये कलियाँ लहलहाती फसल हमारी सींचा इसे हमने अपने सपनो से सुनो सखी मान गयी है सारी दुनिया हँस-हँस कर गारही हैं कलियाँ जीवन रोपती मेहनतकश स्त्रियां जीवन काटती हैं मेहनतकश स्त्रियां सुनो सखी !सबको ज़रा बताना इचक दाना -विचक दाना ------------------------------ ---------------------मानो या न मानो बहुत कुछ है कहने को आपके मन में भी कुछ मेरे मन में भी ये बात और है तुम सुनना नहीं चाहते ना अपने दिल की ना मेरे दिल की कुछ गलत हूँ मैं भी तो कुछ तुम भी साथ ना चले तुम न चले हम रास्ता भी एक मंजिल भी