संगीत हो या नृत्य कला दोनों का ही वाद्य यंत्रों से बहुत गहरा संबंध है। जब कोई गायक मंच पर अपनी प्रस्तुति देता है तब सितार, तबला या हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों का साथ उसकी गायकी को और निखार देता है। इसी तरह जब कोई मंच पर नृत्य की प्रस्तुति करता है तब भी वाद्य यंत्र उसकी प्रस्तुति में चार चांद लगा देते हैं। वाद्य यंत्रों से आशय ऐसे उपकरणों से है जिनके द्वारा संगीतमय ध्वनि उत्पन्न की जा सके।