चोरी

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वह इधर-उधर भटक रहा था। शायद बेमतलब या हो सकता है मतलब से भी। पिछले तीन दिन से वह कोई चोरी नहीं कर पाया था। मिनिस्टर साहब को भी अभी आना था। जाते किसी और बड़े शहर में, आराम से चुनावी रैली करते, भाषण-वाषण देते। इस कस्बे में क्या धूल फाँकने आए हैं। जीना हराम कर दिया है। जहाँ देखो, तहाँ पुलिस।उसने मेन रोड के किनारे लगे हुए पान, चाय, नाश्ते, लस्सी की दुकानों को देखा। सूखे हुए होंठों पर जीभ फेरता हुआ एक नाश्ते की दुकान के बाहर खड़ा हो गया। जेब में हाथ डाला तो ऊँगलियों ने एक पाँच