पाँचवाँ कप

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गुलाबी फूल और हरी पत्तियों वाले इस बोन चाइना के कप को ख़रीदते वक़्त कभी नहीं सोचा था कि यह टूट भी सकता है। कोई नहीं सोचता। कौन सोचेगा भला कि खरीदा जा रहा नाज़ुक सा कप टूट सकता है और लो टूट गया। अभिनव धड़कते दिल से एक हाथ में कप का टूटा हैंडल और दूसरे हाथ में कप लिए किचन में देर तक खड़ा रहा।वो याद कर रहा था कि कितने मन से मेघा ने ये कप खरीदे थे। मॉल के कई चक्कर लगाए थे और सेल का इंतज़ार किया था और साथ में प्रार्थना भी करती रही