चक्रव्यूह ============================= अभिमन्यु को देखा ऐसा लग रहा था मानो स्वयं कामदेव ने पुष्पबाण छोडकर कालदंड धारण कर लिया हो अथवा महादेव पिनाक धारण करके रथ पर बैठ चले आ रहे हों | समाने चतुर धनुर्वेद के मर्मज्ञ आचार्य द्रोण द्वारा निर्मित चक्रव्यूह था ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो सातो सिन्धुओं को कुरुक्षेत्र में बांध दिया हो | वह चक्र एक बार आगे बढ़ता और पांडवों के ग्राम व्यूह का एक हिस्सा निगल जाता था | अभिमन्यु ने सारथि से कहा इस बार जैसे ही आगे बढ़ने को व्यूह का मुंह खुले तुरंत प्रवेश करो व्यूह में जैसे ही