आज वे तीस साल के बाद मिले थे ।रोहित हाल ही में अमेरिका से अपने बेटे,पुत्रवधु,पोते और माता-पिता की स्मृति के साथ अपनी सम्पत्तियों के व्यवस्थापन और अपने सपने पूरे करने हेतु स्वदेश लौटा था।अब यहाँ की सम्पत्ति की देखभाल करने वाला कोई नहीं था। चचेरे भाईयों के उनके अपने व्यवसाय थे।उनके पास भी कहाँ इतना समय था कि वे उसके मकान और जमीन की देखरेख कर सकें।हालांकि वे इस बात का जरूर ध्यान रखते थे कि कोई सम्पत्ति पर अवैध रूप से कब्जा न कर लें। वैसे विदेश में रहकर भी उसने काफी पैसा कमाया था।बेटा और बहू