प्यारालंपिक : हरीश कुमार ‘अमित’ ‘पापा, मैंने टॉप कर लिया है. अब आपकी बारी है.’ मेरी बेटी, जिया, के फोन पर मुझसे कहे गए यही शब्द बार-बार मेरे दिमाग़ में गूँज रहे थे, जब मैं रियो पैरापंलिक में भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में मैदान में उतरा. बेटी ने अपना वादा पूरा करके दिखा दिया था और अब मेरी बारी थी वादा पूरा करने की. छह साल की जिया और मेरे बीच यह समझौता हुआ था कि अगर वह एल.के.जी. की अपनी क्लॉस में टॉप करती है तो मैं भी रिया पैरांपलिक में स्वर्ण पदक