कृति - आनन्द सहोदर 1 यह माना झूठ है अन्याय अत्याचार है, स्वयं ही दुखी जो कर रहा व्यभिचार है। तुम्हारी वेदना के लिए मेरा प्रबल सिद्धांत है, सहारा धर्म जीवन सुखी का मार्ग है ।। 2 बचन धर्म की ग्लानी अति जब पायेगी, बचन