(1) कुछ रिश्ते खून के होते हैं, कुछ रिश्ते समाज में रहते हुए संबोधन के होते हैं और कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो ज़हन में उगते रहते हैं, उनका कोई नाम नहीं होता लेकिन उसकी खुशबू आपकी आँखों से बरसकर मुस्कान में मिलकर हाथों के ज़रिये किसी के माथे को छूती है, तो बरसों से दबी कोई ख्वाहिश पाँव पसारने लगती है. बारह साल से सूनी पड़ी मेरी गोद भी उस समय अपनी किस्मत के आगे हाथ फैला देती है जब उस बिन माँ की बच्ची की आँखें दरवाज़े की ओट से रोज़ मुझे हसरत भरी निगाहों से तकती