लड़कों और लड़कियों के मआशिक़ों का ज़िक्र हो रहा था। प्रकाश जो बहुत देर से ख़ामोश बैठा अंदर ही अंदर बहुत शिद्दत से सोच रहा था, एक दम फट पड़ा। सब बकवास है, सौ में से निन्नानवे मआशिक़े निहायत ही भोंडे और लचर और बेहूदा तरीक़ों से अमल में आते हैं। एक बाक़ी रह जाता है, इस में आप अपनी शायरी रख लीजीए या अपनी ज़ेहानत और ज़कावत भर दीजीए...... मुझे हैरत है... तुम सब तजरबाकार हो। औसत आदमी के मुक़ाबले में ज़्यादा समझदार हो। जो हक़ीक़त है, तुम्हारी आँखों से ओझल भी नहीं।