गौरमुख सिंह की वसीयत

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पहले छुरा भौंकने की इक्का दुक्का वारदात होती थीं, अब दोनों फ़रीक़ों में बाक़ायदा लड़ाई की ख़बरें आने लगी जिन में चाक़ू छुरियों के इलावा कृपाणें, तलवारें और बंदूक़ें आम इस्तिमाल की जाती थीं। कभी कभी देसी साख़त के बम फटने की इत्तिला भी मिलती थी।