अपनी देहरी

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कुलदीप ने ने अपना सूटकेस गाड़ी से उतारा। कुछ समय इधर उधर देखते रहे। पर उन्हें लेने कोई नहीं पहुँचा था। उन्होंने अपने आने की सूचना तो दी थी। फोन पर बात हुई थी कि उनके चचेरे भाई का बेटा उन्हें लेने स्टेशन आएगा। पर वह तो दिखाई नहीं पड़ रहा था। कुछ क्षण अनिश्चय में खड़े रहे। क्या करें समझ नहीं आ रहा था। बहुत समय के बाद यहाँ आए थे। आगे की यात्रा कैसे करनी है मालूम नहीं था। फिर सोंचा पहले स्टेशन के बाहर चलते हैं फिर आगे देखेंगे। स्टेशन के बाहर निकले तो सामने चाय