“मृत्यु समीक्षक: क्या तुम्हारे पिता ने मरने के पहले कोई बयान दिया?” “साक्षी: वो कुछ शब्द बुदबुदाए मगर मैं उसमें इतना ही समझ पाया कि उनका इशारा किसी रैट की तरफ़ था।” “मृत्यु समीक्षक: तुम उससे क्या समझे?” “साक्षी: उनकी बातों से में कोई अर्थ नहीं निकाल पाया। मुझे लगा कि वो भ्रांतचित्त थे।” “मृत्यु समीक्षक: तुम्हारे और तुम्हारे पिता के बीच में वो आख़री झगड़ा किस बात को लेकर हुआ था?“ “साक्षी: मैं इसका जवाब नहीं देना पसंद करूँगा।” “मृत्यु समीक्षक: मुझे डर है कि मुझे इस बात पर ज़ोर देना होगा।”