खुद फ़रेब

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हम न्यू पैरिस स्टोर के प्राईवेट कमरे में बैठे थे। बाहर टेलीफ़ोन की घंटी बजी तो इस का मालिक ग़यास उठ कर दौड़ा। मेरे साथ मसऊद बैठा था इस से कुछ दूर हट कर जलील दाँतों से अपनी छोटी छोटी उंगलीयों के नाख़ुन काट रहा था उस के कान बड़े ग़ौर से ग़यास की बातें सुन रहे थे वो टेलीफ़ोन पर किसी से कह रहा था।