जब भी मेरी नजर '८२ और '९० सालो के बीच मैंने शेरलॉक होम्स के बारे में लिखी टिप्पणियाँ और अभिलेखों के उपर पड़ती है, तब मेरा सामना ऐसी बहोत सी अजीब और दिलचस्प बातो से होता है जिसमे से किसका चुनाव करे किसे छोड़ दे ये मेरे लिये आसान बात नहीं होती। तथापि, उनमें से कुछ पहले ही अखबारों के द्वारा सुर्खियां बटोर चुकी है और शेष बाते एक ऊँचे ओहदे पे काम करने वाले मेरे एक मित्र के समक्ष वो विशेष वातावरण निर्मिति में असफल रही जो की अखबारों का उदाहऱण के तौर पर सन्दर्भ देने का मूल मानस होता हैl