“आप यक़ीन नहीं करेंगे। मगर ये वाक़िया जो मैं आप को सुनाने वाला हूँ, बिलकुल सही है।” ये कह कर शेख़ साहब ने बीड़ी सुलगाई। दो तीन ज़ोर के कश लेकर उसे फेंक दिया और अपनी दास्तान सुनाना शुरू की। शेख़ साहब के मिज़ाज से हम वाक़िफ़ थे, इस लिए हम ख़ामोशी से सुनते रहे। दरमयान में उन को कहीं भी न टोका।