सत्य हरिश्चन्द्र - 1

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अथ सत्यहरिश्चन्द्र (मंगलाचरण) सत्यासक्त दयाल द्विज प्रिय अघ हर सुख कन्द। जनहित कमला तजन जय शिव नृप कवि हरिचन्द1 ।। 1 ।। (नान्दी के पीछे सूत्राधार2 आता है)