उस बरस चंद्रोत्सव से पहले आ क्यू वेइच्वाङ में दिखाई नहीं दिया। उसके लौटने की खबर सुनकर हर आदमी आश्चर्य करने लगा और पुरानी बातों को याद करके सोचने लगा कि इस बीच वह गया कहाँ था। इससे पहले दो-चार अवसरों पर जब आ क्यू शहर गया था, तो लोगों को पहले से ही बड़ी शान से सूचित कर गया था, इस बार उसने ऐसा नहीं किया, इसलिए उसके शहर जाने का किसी को पता ही न चला। शायद उसने कुल-देवता के मंदिर के बूढ़े पुजारी को बताया हो, लेकिन वेइच्वाङ की प्रथा के अनुसार शहर जाना केवल तभी महत्वपूर्ण समझा जाता था जब चाओ साहब, छ्येन साहब या काउंटी की सरकारी परीक्षा में सफल प्रत्याशी शहर जाते थे।