हालाँकि आ क्यू सदा विजय प्राप्त करता जाता था, फिर भी उसे प्रसिद्धि सिर्फ तभी हासिल हुई, जब चाओ साहब ने उसके मुँह पर थप्पड़ मारने की तकलीफ उठाई। बेलिफ के हाथ में दो सौ ताँबे के सिक्के रखने के बाद वह गुस्से से जमीन पर लेट गया। बाद में अपने आपसे कहने लगा, आजकल दुनिया न मालूम कैसी हो गई है, बेटे अपने बाप को पीटने लगे हैं... तब वह चाओ साहब की प्रतिष्ठा के बारे में सोचने लगा, जिन्हें अब वह अपना बेटा समझने लगा था। धीरे-धीरे उसका जोश ऊँचा उठता गया। वह उठा और युवक विधवा अपने पति की कब्र पर गीत की पक्तियाँ गुनगुनाता हुआ शराबखाने में जा पहुँचा। उस समय अवश्य उसे महसूस हुआ कि चाओ साहब का रुतबा ज्यादातर लोगों से थोड़ा ऊपर है।