चित्रकूट नगर में एक राजा रहता था। एक दिन वह शिकार खेलने जंगल में गया। घूमते-घूमते वह रास्ता भूल गया और अकेला रह गया। थक कर वह एक पेड़ की छाया में लेटा कि उसे एक ऋषि-कन्या दिखाई दी। उसे देखकर राजा उस पर मोहित हो गया। थोड़ी देर में ऋषि स्वयं आ गये। ऋषि ने पूछा, तुम यहाँ कैसे आये हो? राजा ने कहा, मैं शिकार खेलने आया हूँ। ऋषि बोले, बेटा, तुम क्यों जीवों को मारकर पाप कमाते हो?