मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि कई कलाओं और विधाओं में पारंगत था। मंत्री के दो सुंदर पुत्र थे जो उसी की भाँति गुणवान थे। बड़े का नाम शम्सुद्दीन मुहम्मद था और छोटे का नूरुद्दीन अली। जब मंत्री का देहांत हुआ तो बादशाह ने उसके दोनों पुत्रों को बुला कर कहा कि तुम्हारे पिता के मरने से मुझे भी बड़ा दुख है, अब मैं तुम दोनों को उनकी जगह नियुक्त करता हूँ, तुम मिल कर मंत्रिपद सँभालो। दोनों ने सिर झुका कर उसका आदेश माना। एक मास पर्यंत अपने पिता का शोक करने के बाद दोनों राज दरबार में गए। दोनों मिल कर काम करते थे। जब बादशाह आखेट के लिए जाता तो बारी-बारी से हर एक को अपने साथ ले जाता तो और दूसरा राजधानी में रह कर शासन कार्य को देखता।