अलिफ़ लैला - 16

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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा नाम अजब है और मैं महा ऐश्वर्यशाली बादशाह किसब का बेटा हूँ। पिता के स्वर्गवास के बाद मैं सिंहासनारूढ़ हुआ और उसी नगर में रहने लगा जिसे मेरे पिता ने अपनी राजधानी बनाया था। मेरी राजधानी समुद्र के किनारे बसी थी। उसकी रक्षा के लिए डेढ़ सौ युद्ध पोत तैयार रहते थे। इसके अलावा दूरस्थ व्यापार के लिए पचास जहाज थे और बहुत-से दूसरे जहाज भी लंगर डाले रहते थे कि लोग उन पर बैठकर समुद्र में सैर-सपाटा किया करें। मेरे राज्य में कई अन्य नगर और द्वीप भी थे।