शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए देश-विदेश की यात्रा किया करता था। एक बार उसे किसी विशेष कार्य के लिए अन्य स्थान पर जाना पड़ा। वह अकेला घोड़े पर बैठ कर चल दिया। गंतव्य स्थान पर खाने-पीने को कुछ नहीं मिलता था, इसलिए उसने एक खुर्जी में कुलचे और खजूर भर लिए। काम पूरा होने पर वह वापस लौटा। चौथे दिन सवेरे अपने मार्ग से कुछ दूर सघन वृक्षों के समीप एक निर्मल तड़ाग देखकर उस की विश्राम करने की इच्छा हुई। वह घोड़े से उतरा और तालाब के किनारे बैठ कर कुलचे और खजूर खाने लगा। जब पेट भर गया तो उसने जगह साफ करने के लिए खजूरों की गुठलियाँ इधर-उधर फेंक दीं और आराम करने लगा।