चोखेर बाली - 1

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विनोद की माँ हस्मिती महेन्द्र की माँ राजलक्ष्मी के पास जाकर धरना देने लगी। दोनों एक ही गाँव की थीं, छुटपन में साथ खेली थीं। राजलक्ष्मी महेन्द्र के पीछे पड़ गई- 'बेटा महेन्द्र, इस गरीब की बिटिया का उध्दार करना पड़ेगा। सुना है, लड़की बड़ी सुन्दर है, फिर लिखी-पढ़ी भी है। उसकी रुचियाँ भी तुम लोगों जैसी हैं। महेन्द्र बोला- 'आजकल के तो सभी लड़के मुझ जैसे ही होते हैं।' राजलक्ष्मी- 'तुझसे शादी की बात करना ही मुश्किल है।' महेन्द्र- 'माँ, इसे छोड़कर दुनिया में क्या और कोई बात नहीं है।'