रूस के पत्र - 6

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रूस घूम आया, अब अमेरिका की ओर जा रहा हूँ, इतने में तुम्हारी चिट्ठी मिली। रूस गया था, उनकी शिक्षा पद्धति देखने के लिए। देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ। आठ ही वर्ष के अंदर शिक्षा के जोर से लोगों के मन का चेहरा बदल गया है। जो मूक थे उन्हें भाषा मिल गई है, जो मूढ़ थे, उनके मन पर से पर्दा हट गया है, जो दुर्बल थे, उनमें आत्मशक्ति जाग्रत हो गई है, जो अपमान के नीचे दबे हुए थे, आज वे समाज की अंध कोठरी में से निकल कर सबके साथ समान आसन के अधिकारी हो गए हैं। इतने ज्यादा आदमियों का इतनी तेजी से ऐसा भावांतर हो जाएगा, इस बात की कल्पना करना कठिन है। जमाने से सूखी पड़ी हुई नदी में शिक्षा की बाढ़ आई है, देख कर मन पुलकित हो जाता है। देश में इस छोर से ले कर उस छोर तक सर्वत्र जाग्रति है।