पीतल के एक खूबसूरत पिंजड़े में एक काला कोयला-सा जानवर भुजंगे की औलाद, जंगली कौवे का नामलेवा, कोयल का पानीदेवा, बंद है। और यह पिंजड़ा एक कमरे में खूँटी पर टँगा हुआ है और थोड़ी-थोड़ी देर के बाद जोर-जोर से आवाज लगा रहा है - 'पी कहाँ!' फिर दम ले कर 'पी कहाँ!' फिर जरा देर में - 'पी कहाँ!' इसके जवाब में एक जानवर, उसी रंग, उसी के बराबर वही आवाज लगा रहा है : 'पी कहाँ! पी कहाँ!' आवाज की गूँज इन दोनों की पुकारों की आवाज को दुहराती है। चार आवाजें तो 'पी कहाँ!' की ये आ रही हैं