पी कहाँ? - 3

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मियाँ जोश की मशहूर चढ़ाई पर एक बहुत ऊँचा टीला था। उस पर एक खस से छाया हुआ खुशनुमा बँगला बना हुआ था, और उसी से लगी हुई एक पक्‍की महलसरा थी, जिसका पत्‍थर का हम्‍माम दूर तक अपना जोड़ नहीं रखता था। बँगले से महलसरा को मजबूत-मजबूत तख्‍तों की छत से मिला दिया था। जब चाहा बँगले को मर्दाना कर दिया, जब चाहा जनाना मकान बन गया। इस बँगले की छत के एक कमरे में एक बूढ़ा रईस अपनी बूढ़ी बीवी के पास बैठा हुआ अकेले में बातें कर रहा था। सिर्फ एक महरी चँवरी लिए हुए पीछे खड़ी थी।