कसबे से डेढ़ कोस के फासले पर एक बड़ा लंबा-चौड़ा अहाता है, दीवारें चौतरफा बहुत ऊँची-ऊँची। अहाते के बड़े फाटक के अंदर पहुँचते ही, दूर तक हरी-हरी दूब का, हीरे-सा दमकता हुआ फर्श नजर आता था, और सबके पहले इसी पर नजर पड़ती थी। और इसके चार कोनों पर चार फव्वारे छूटते थे, जिनके पानी से दूब सींची जाती और आँखों को तरावट होती थी। इस दूब के बहुत बड़े तख्ते से हो कर एक और फाटक था। मशहूर था कि सोमनाथ के मंदिर के फाटक के बाद हिंदुस्तान में यह दूसरे नंबर का फाटक है। इस फाटक से दूर तक खुशबूदार फूलों की क्यारियाँ थीं। लाल-लाल फूलों की क्यारियों में गुले-लाला खिला था। मालूम होता था कि फूलों की लाल कुर्तेवाली पलटन किसी पर धावा करने को लैस है।