हुश्शू - 8

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धर लिए गए यों तो लखनऊ में मेले बहुत से होते हैं - ऐशबाग के मेले - परिस्‍तान की परियों का गुंचा खिला हुआ, बावली का मेला - गठा हुआ, अलीगंज का मेला भी, खैर, ऐसा बुरा नहीं। गोल दरवाजे का मेला, होली के दिन सब सफेदपोश - सुनहरा मेला। साहजी के बँगले से चौक तक और कश्‍मीरी मोहल्‍ला, यहियागंज नख्‍खास, यह-वह, हर मोहल्‍ले में छोटे-छोटे मेले होते हैं। दिवाली की रात, शबरात - तमास शहर जगमगाता है। मजहबी मेलों में रामलीला - ड्रैमेटिक मेला, मोहर्रम - हर जगह रोशनी, हुसैनाबाद मुबारक, नजफ, अशरफ मीरबाकर का इमामबाड़ा, हैदरी का इमामबाड़ा।