हुश्शू - 7

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मुल्‍ला पागल मौलवी साहब गाड़ी पर सवार जोती परशाद को अपने जान बेवकूफ बनाते चले जाते थे और सोचते जाते थे कि लाला को यह खबर ही नही कि घड़ी-दो में मुरलिया बाजेगी पागलखाने की सैर करते होंगे। दिल में रंज था, मगर करते भी क्‍या, अपने सर पड़ी आप ही झेलनी पड़ती है। पागलखाने की आलीशान कोठी के पास पहुँच कर मौलवी साहब ने गाड़ी रुकवाई और लाला जोती परशाद के बनाने और दिल बहलाने के लिए, कि पागलखाना देख के भड़कें नहीं, यों मजे-मजे की बातें करने लगे -