शेख़ सादी - 8

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फ़ारसी साहित्‍य की पाठ्य पुस्‍तकों में गुलिस्‍तां के बाद बोस्‍तां का ही प्रचार है । यह कहने में कुछन होगी कि काव्यग्रंथों में बोस्तां का वही आदर है जो गद्य में गुलिस्तां का है। निज़मी का सिकन्दरनामा, फ़िरदौसी का शाहनामा, मौलाना रूम की मसनवी, और दीवान हाफिज़ यह चारों ग्रंथ बोस्तां के ही समान गिने जाते हैं। निज़मी और फिरदौसी वीर-रस में अद्वितीय हैं, मौलाना रूम की मसनवी भक्ति संबंधी ग्रंथों में अपना जवाब नहीं रखती और हाफिज़ प्रेम रस के राजा हैं। इन चारों काव्यों का आदर किसी न किसी अंश में उनके विषय पर निर्भर है। लेकिन बोस्तां एक नीतिग्रंथ है और नीति के ग्रंथ बहुधा जनता को प्रिय नहीं हुआ करते। अतएव बोस्तां का जो आदर और प्रचार है वह सर्वथा उसकी सरलता और विचारोंत्कर्षता पर निर्भर है।